वडोदरा शहर गुजरात का प्राचीन ऐतिहासिक शहर है, जिसे ताज के नाम से भी जाना जाता है। वडोदरा शहर का इतिहास, व्यवसाय, व्यापार हर एक मामले में गुजरात के प्रमुख शहर हैं, जहां कई ऐतिहासिक स्मारक, संग्रहालय, उद्यान और अन्य कई पर्यटन स्थल हैं जो उष्णकटिबंधीय को काफी आकर्षित करते हैं।
मकरपुरा महल
इस पैलेस को इटालियन सुपरमार्केट की मदद से बनाया गया है। सुबह के 9:30 बजे से लेकर शाम के 6:00 बजे के बीच इस महल को देख सकते हैं। वडोदरा में यह स्थित संग्रहालय और चित्र गैलरी में गुजरात के ऐतिहासिक अतीत का विवरण दिया गया है। इस संग्रहालय का निर्माण गायकवाद 1894 में किया गया था, जिसमें प्राकृतिक, पुरातन और भूविज्ञान इतिहास से संबंधित एक समृद्ध संग्रह है।
बड़ौदा संग्रहालय और चित्र गैलरी
इसके अतिरिक्त संग्रहालयों में नेपाल, तिब्बत, जापान के मिश्र स्थापत्य से निर्मित अनेक मूर्तियाँ, वस्त्र, प्रतिमाएँ अंकित की गई हैं। यहां तक कि मुगल लघुकथा को भी यहां संग्रहित करके रखा गया है। यहां चंपानेर में बनने वाली मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े, शामलाजी की मूर्तियां, अकोटा से जैन तीर्थकरो की मूर्तियां, मूर्तियां आदि का संग्रह है। यह संग्रहालय सुबह 10:30 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है।
लक्ष्मी विलास पैलेस
लक्ष्मी विलास पैलेस वड़ोदरा के शाही परिवार के रहन-सहन को चित्रित करता है। इस महल को 1890 में महाराजा सयाजीराव गायकवाद 3 द्वारा बनवाया गया था। महल में लाल पत्थर और नीले रंग के जाल पत्थर का निर्माण किया गया था जिसे राजस्थान और इटली से बेच दिया गया था। 700 ओक क्षेत्र में यह विशाल पैलेस लंदन में बकिंघम पैलेस से भी 4 गुना बड़ा है।
इस महल को बनने में लगभग 12 साल लगे थे इस महल को इंडो-सारसेनिक स्थापत्य शैली द्वारा बनाया गया है, जो काफी सुंदर है। इस महल के आसपास कई बंदर और मोर श्याम रहते हैं। महल में गुंबद मीनार सहित अन्य शामिल हैं। भ्रमण 9:30 अपराह्न से लेकर शाम 5:00 बजे तक इस महल को देखने के लिए समुद्र तट पर जा सकते हैं।
लक्ष्मी विलास पैलेस वडोदरा का सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह महल 19वीं सदी में गुजरात के पूर्व महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय ने रचाया था। यह महल अपनी भव्य वास्तुकला और शानदार सजावट के लिए जाना जाता है। पैलेस का निर्माण रोमन, इतालवी और फ्रेंच शैलियों का मिश्रण था। महल में कई खूबसूरत कमरे, हॉल और बंगले हैं। पैलेस के स्थापत्य कला में निर्मित, सुंदर लकड़ी, सोने का काम और शानदार दर्पण हैं। पैलेस के बाहरी मठों में कई उद्यान और छात्रावास हैं। महल के बगीचों में तरह-तरह के फूल, पेड़-पौधे और झरने हैं। महल के बगीचों में घूमना और प्रकृति का आनंद लेना एक सुखद अनुभव है।
सयाजी गार्डन
महाराजा सयाजीराव गायकवाद तीन द्वारा 1879 में विश्वामित्री के किनारे नदी पर इस उद्यान की स्थापना की गई थी जो 45 हेक्टेयर के स्मारक में फैला हुआ है। जिसमें विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों को देखने का शौक शामिल है, वे इस गार्डन को देखने के लिए आ सकते हैं। यहां पर 99 से भी अधिक आर्किटेक्चर के पेड़ के उपाय हैं।
सयाजी बाग़ वडोदरा का एक विशाल उद्यान है, जो 113 ओक में फैला हुआ है। यह 1879 में महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय द्वारा बनाया गया था। यह पश्चिमी भारत के सबसे बड़े उद्यानों में से एक है। सयाजी बाग में कई प्रकार के पेड़-पौधे, फूल, और झरने हैं। बाग में कई तरह के आकर्षण भी हैं, जिनमें एक पुष्प घड़ी, एक झूलाघर, और एक बच्चों का खेलघर शामिल हैं। सयाजी बाग एक परिवार के लिए एक आदर्श स्थान है। यहां बच्चे और बड़े दोनों प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।
सयाजी बाग चिड़ियाघर वडोदरा का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह चिड़ियाघर 1879 में महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय द्वारा स्थापित किया गया था। यह चिड़ियाघर पश्चिमी भारत का सबसे बड़ा चिड़ियाघर है। चिड़ियाघर में 167 जानवरों के 1103 जानवर हैं। इनमें बाघ, शेर, हाथी, जिराफ, टाइगर और कई अन्य जानवर शामिल हैं। चिड़ियाघर में एक मछलीघर भी है जिसमें 45 जानवरों की मछलियाँ हैं। चिड़ियाघर में हैं कई तरह के आकर्षण। इनमें एक पुष्प घड़ी, एक झूलाघर, और एक बच्चों का खेलघर शामिल हैं। चिड़ियाघर में एक ट्रेन भी है जो चिड़ियाघर के चारों ओर ले जाती है। यह अतिरिक्त मनोरंजन के लिए दो, संग्रहालय और एक तारामंडल भी है। यहां बच्चों के मनोरंजन के लिए खिलौना वाली ट्रेन भी है और फूल घड़ी भी है। यहां के चिड़ियाघर में 167 प्रकार के जीवो का संग्रह देखने को मिलता है। इसके अलावा यहां 45 विभिन्न मछली पकड़ने वाली मछली का घर भी है।
सूरसागर झील - सुरसागर झील एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह झील शहर के केंद्र में स्थित है और यह वडोदरा की सबसे बड़ी झील है। झील का निर्माण 18वीं शताब्दी में महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय ने किया था। झील का नाम मुगल काल के संग्रहकर्ता सुरेश्वर डेज़ी के नाम पर रखा गया है। झील के किनारे कई खूबसूरत कलाकृतियाँ और मंदिर हैं। झील के मध्य में एक 120 फीट ऊंची भगवान शिव की मूर्ति है। लेक में बोटिंग का भी आनंद लिया जा सकता है। सुरसागर झील एक सुंदर और शांत स्थान है। यहां जानें आप प्रकृति का आनंद ले सकते हैं और शहर की भीड़भाड़ से दूर तक आराम कर सकते हैं।
बारडोला संग्रहालय - बड़ौदा संग्रहालय
बारडोला वडोदरा संग्रहालय एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। यह संग्रहालय 1899 में स्थापित किया गया था और यह गुजरात का सबसे पुराना संग्रहालय है। संग्रहालय में प्राचीन वास्तुशिल्प, वास्तुशिल्प और अन्य ऐतिहासिक सामग्रियों का एक विशाल संग्रह है। संग्रहालय में कई अलग-अलग विभाग हैं, जिनमें प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत, आधुनिक भारत और विदेशी कला शामिल हैं। संग्रहालय में कई प्रसिद्ध नारियल का घर शामिल है, जिसमें 9वीं सदी की भगवान विष्णु की मूर्ति, 13वीं सदी की भगवान शिव की मूर्ति और 17वीं सदी की मुगलकालीन पेंटिंग शामिल हैं। बारडोला संग्रहालय एक इतिहास और संस्कृति प्रेमी के लिए एक आदर्श स्थान है। यहां आप प्राचीन भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति का अनुभव कर सकते हैं।
गुजरात के पंचमहल जिले में स्थित एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। यह पार्क चंपानेर और पावागढ़ की दो पहाड़ियों पर स्थित है, जो लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर हैं।
चंपानेर-पावागढ़ एक ऐतिहासिक शहर था जो गुजरात सल्तनत की राजधानी हुआ करता था। इस शहर का निर्माण 14वीं शताब्दी में किया गया था और यह अपनी समृद्ध वास्तुकला और संस्कृति के लिए जाना जाता है।
तपोवन मंदिर वडोदरा – तपोवन मंदिर वडोदरा का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। यह मंदिर उत्तर और दक्षिण भारतीय डिज़ाइन के संयोजन वाला नक्काशीदार और पेंट किया गया पूजा स्थल है। मंदिर 1960 में श्री अरबिंदो आश्रम द्वारा बनाया गया था। मंदिर में भगवान शिव, देवी दुर्गा, भगवान विष्णु, और अन्य हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित मंदिर हैं। मंदिर का परिसर सुंदर बगीचों और उद्यानों से घिरा हुआ है। मंदिर में एक पुस्तकालय भी है जिसमें श्री अरबिंदो और द मदर की रचनाओं का एक बड़ा संग्रह है।
मीर नवाब शाह सैयद कुतुबुद्दीन मकबरा - मीर नवाब शाह सैयद कुतुबुद्दीन मकबरा वडोदरा का एक ऐतिहासिक स्मारक है। यह मकबरा 16वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह अकबर के बेटे और उत्तराधिकारी सलीम के शिक्षक कुतुबुद्दीन मुहम्मद खान की कब्र है। मकबरा सफेद संगमरमर से बना है और इसमें कई सुंदर नक्काशी और मूर्तियां हैं। मकबरे के चारों ओर एक बगीचा है जो इसे और भी सुंदर बनाता है।
अरबिंदो आश्रम
वडोदरा के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक अरविंद आश्रम भी है, जहां पर ध्यान और आध्यात्मिकता में रुचि रखने वाले पर्यटक स्थल जा सकते हैं। यह आश्रम वडोदरा के डांडिया बाजार में स्थित है। यहां आने वाले माइक्रोसॉफ्ट को काफी शांति का एहसास होता है।
श्री अरबिंदो निवास
1894 से 1906 के बीच यहां अरबिंदो घोष रह रहे थे। आश्रम के अंदर 23 कमरे हैं जिनमें पुस्तकालय, एक अध्ययन कक्ष और एक बिक्री एन्पोरियम भी है। यहां आप अरबिंदो घोष द्वारा लिखित कई दुर्लभ कार्टूनों का समूह भी देख सकते हैं।
हथनी झरना
वडोदरा में पावागढ़ शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह झरना लगभग 100 मीटर लंबाई वाली है जो विभिन्न प्रकार के सुंदर वनस्पतियों से घिरी हुई है। माना जाता है कि इस झरने को यहां के स्थानीय आदिवासी समुदाय ने खोजा था।
हथनी माता झरना
यह झरना जिस चट्टान से लुढ़कता हुआ निकलता है वह रॉक बिल्कुल हाथी के बच्चे की तरह दिखता है और इसकी अतिरिक्त हथिनी माता की पूजनीय देवी है इसी कारण इस झरने का नाम हथनी झरना पड़ा।
वडोदरा घूमने जाने का सबसे सही समय
गर्मियों के दौरान बच्चों की विद्यालय में छुट्टी होने के कारण गर्मियों के दौरान ज्यादातर परिवार घूमने की योजना बनाते हैं। ऐसे में यदि आप वडोदरा घूमने की योजना बना रहे हैं, तो गर्मी की छुट्टी में तो बिल्कुल ना बनाएं क्योंकि गर्मियों के दौरान यहां पर 42 डिग्री तक तापमान चला जाता है और इतने कड़े धूप में वडोदरा को घूमना काफी परेशानी दायक हो सकता है।
वडोदरा घूमने का आनंद लेना है, तो सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। क्योंकि इस दौरान यहां का तापमान लगभग 16 डिग्री तक होता है जिससे ज्यादा ठंड भी नहीं होती है और मौसम काफी सुखद होता है।
इसके अतिरिक्त गुजरात का नवरात्रि देश भर में प्रसिद्ध है। अक्टूबर-नवंबर के दौरान वडोदरा में नवरात्रि उत्सव में भी शामिल होने का मौका मिल सकता हैं। इसीलिए वडोदरा घूमने की योजना अक्टूबर से मार्च के दौरान ही बनाए।