साल और बांसों से भरा कान्हा का जंगल, झूमते-लहराते घास के मैदानी और टेड़ी-मेढ़ी बहने वाली नदियों की निसर्ग भूमि है। सन् 1955 में एक विशेष कानून के द्वारा कान्हा राष्ट्रीय उद्यान अस्तित्व में आया। यह पशु-पक्षियों के लिए एक निर्भय आश्रय स्थल बन गया है।
दर्शनीय स्थल
बमनीदादर, स्तनपायी प्राणियों की जातियां तथा कान्हा का पशु-पक्षी संसार दर्शनीय है।
कैसे पहुंचे
वायु सेवा:-दिल्लीऔर मुंबई से रायपुर और नागपुर के लिए हवाई सेवाएं उपलब्ध है। जबलपुर का हवाई अड्डा आजकल बंद है।
रेल सेवा:-जबलपुर और बिलासपुर तक आसानी से रेलगाड़ी से पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग:- जबलपुर से किसली और मुक्की के लिए दैनिक बस सेवा है।कान्हा नेशनल पार्क में जाने के दो मुख्य मार्ग हैं-खटिया (किसली से 3 किलोमीटर) और मुक्की। जबलपुर से चिरइडोंगरी के रास्ते किसली 165 कि.मी. पड़ता है। मोतीनाला और गढ़ी के रास्ते मुक्की 203 किलोमीटर है। मुक्की राजमार्ग होने से अधिक सुविधा जनक है। बिलासपुर (182 कि.मी.) रायपुर (213 कि.मी.) और बालाघाट (83 कि.मी.) से यहां पहुंचना सरल है।
अनुकूल मौसम:-नवम्बर से जून। उद्यान 1 जुलाई से 31 अक्टूबर तक बंद रहता है।
ठहरने के लिए:- मध्यप्रदेेश शासन तथा पर्यटन निगम के होटल उपलब्ध हैं।