6. उदयगिरि की गुफ़ाएँ
उदयगिरी की गुफाओं के बारे में बताया जाता है कि ये 10 वीं शताब्दी में जब उदयगिरी विदिशा धार के परमारों के हाथ में आ गया, तो राजा भोज के पौत्र उदयादित्य ने अपने नाम से इस स्थान का नाम उदयगिरि रख दिया । उदयगिरि में कुल मिला कर 20 गुफाएँ हैं।इन्ही गुफाओं को काटकर छोटे- छोटे कमरों के रूप में बनाया गया है। साथ- ही- साथ मूर्तियाँ भी बनाई गई थी। आज के समय में वहा मुर्तियाँ नही देखी जा सकती, क्योंकि ऐसा यहाँ पाये जाने वाले पत्थर के कारण होता है। यह पत्थर बहुत नरम होते है यह मौसमी प्रभावों को झेलने के लिए उपयुक्त नहीं है।इसलिए मुर्तियाँ खुद ही नष्ट हो कर विलुप्त हो गई हैं। इसके साथ ही उदयगिरि की इन गुफाओं में बेहद खुबसुरत नक्काशी की गई है चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में इन गुफाओं पर काम किया गया। ये गुफाएं विदिशा से 6 किमी दूर बेतवा और वैस नदी के बीच में स्थित है। एक एकांत स्थान पर पहाड़ी पर स्थित इन गुफाओं में कई बौद्ध अवशेष भी पाए जाते हैं इस गुफा में पाए जाने वाली अधिकांश मूर्ति भगवान शिव और उनके अवतार को समर्पित है।इस गुफा में भगवान विष्णु के लेटे हुए मुद्रा में एक प्रतिमा है, जिसे जरूर देखना चाहिए। पत्थरों को काट कर बनाई ये गुफाएं गुप्त काल के कारीगरों के कौशल और कल्पनाशीलता का जीता जागता उदाहरण है। गुफा का प्रवेश द्वार को देख कर आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकेंगे। इसलिए आप मध्य प्रदेश जाएं तो उदयगिरि की गुफ़ाएं अवश्य घूमें।
7. ओरछा
ओरछा मध्य प्रदेश में बेतवा नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जो अपने भव्य महलों और जटिल नक्काशीदार मंदिरों के लिए जाना जाता है। बुंदेला युग की याद दिलाने वाला मध्यप्रदेश पर्यटन को बढ़ावा देने वाला “ओरछा” भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इतिहास के शौकीनों के घूमने के लिए ओरछा को मध्य प्रदेश की सबसे अच्छी जगहों में से एक माना जाता है। जब भी आप ओरछा जाएंगे तो आपको यहां के विभिन्न ऐतिहासिक स्थान, मंदिर, किले और अन्य पर्यटक आकर्षण देखने को मिलेंगे, जहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं।
मध्य प्रदेश का ओरछा एक ऐसा टूरिस्ट प्लेस है, जिसे दोस्तों के साथ टूर, फैमिली वेकेशन और यहां तक कि न्यूली मैरिड कपल्स के लिए हॉलिडे डेस्टिनेशन में से एक माना जाता है। ओरछा के महलों और मंदिरों की मध्ययुगीन वास्तुकला भी फोटोग्राफरों को अपनी तरफ आकर्षित करने का मुख्य केंद्र बनी हुई है।
ओरछा का किला अपने आकर्षण के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। इसके अलावा चतुर्भुज मंदिर, राज मंदिर और लक्ष्मी मंदिर ओरछा के मुख्य आकर्षण हैं जो यहां आने वाले लोगों के लिए यात्रा को यादगार बनाते हैं।
8. सांची का स्तूप
सांची का स्तूप भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल से 46 किमी. की दूरी पर उत्तर-पूर्व में स्थित है, जो रायसेन जिले के साँची नगर में बेतबा नदी के तट पर स्थित है। यह स्थल अपनी आकर्षक कला कृतियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। सांची स्तूप को यूनेस्को द्वारा 15 अक्टूबर 1982 को विश्व विरासत स्थल में शामिल किया गया था। सांची स्तूप की स्थापना मौर्य वंश के सम्राट अशोक के आदेश से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी।इस स्थान पर भगवान बुद्ध के अवशेष रखे हुए हैं। सांची शहर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और हरे-भरे बगीचों से घिरा हुआ है। जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को शांति और आनंद की अनुभूति होती है और पर्यटक इस स्थान की ओर आकर्षित होते हैं। इस स्थान पर मौजूद मूर्तियों और स्मारकों में आपको बौद्ध कला और वास्तुकला की अच्छी झलक देखने को मिलती है। ये स्थान हरे भरे बागानों से घिरा हुआ है। जो यहां आने वाले पर्यटकों को
11. मांडु
मांडू पश्चिमि मध्य प्रदेश के मालवा में इंदौर से लगभग 90 किमी दूर एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यहां पर स्थित खूबसूरत ऐतिहासिक स्मारकों की वास्तुकला विभिन्न शासन काल के प्रभाव को दर्शाती है। मानसून की रिमझिम बारिश, हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता के मध्य इन इमारतों की खूबसूरती पर्यटकों को और भी आकर्षित करती है ।
मांडू किला विंध्य पहाड़ी से लगभग 592 मीटर ऊंचाई पर स्थित है, साथ ही यह देश का सबसे बड़ा किला भी कहा जाता है. बताया जाता है कि मांडू का यह किला करीब 82 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है, जो आकार में बिल्कुल एक जहाज की तरह लगता है।मॉनसून के दौरान मांडू Same किले में अलग ही प्रकार की खूबसूरती झलकती है। इसकी दीवारें 300 साल बाद भी जस की तस बनी हुई हैं। यहां न केवल पर्यटकों को इतिहास के बारे में जानने को मिलेगा, बल्कि यहां फैली हरियाली पर्यटकों को काफी शांति भी प्रदान करेगी. भले ही समय के साथ-साथ किले में कुछ नुकसान जरूर हुए हैं, लेकिन इसकी खूबसूरती आज भी बरकरार है.
मांडू की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बने इस किले की खोज 10वीं शताब्दी में हुई थी. वहीं 15वीं शताब्दी में जब यहां मालवा का शासन शुरू हुआ तो यहां जहाज महल, हिंडोला महल और रूपमती मंडप जैसे कई महल बनवाए गए। इस किले पर अफगान शासक, मालवा, मोहम्मद शाह, मुगल और फिर मराठाओं द्वारा राज किया गया।मांडू किले में देखने लायक इमारतों में यहां की जामा मस्जिद, जहाज महल, हिंडोला महल, नीलकंठ मंदिर, रेखा कुंड, रानी रूपमती महल और होशंग शाह का मकबरा शामिल है. कहा जाता है कि यहां मौजूद होशंग शाह का मकबरा संगमरमर से बनाया गया है, जिसे देखने के लिए शाहजहां ने अपने चार कारीगर भी भेजे थे, ताकि वे ताजमहल के अंदर ऐसा ही मकबरा बना सकें. वहीं यहां मौजूद जामा मस्जिद अफगान वास्तुकला का बेहतरीन उदाहण है. मस्जिद का बड़ा आंगन और भव्य प्रवेश द्वार पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है I