मप्र में जल्द ही रेत सहित कई तरह के खनन पर अब तकनीक की मदद से नजर रखी जाएगी। इसके लिए खनिज विभाग ने 7500 से अधिक खदानों की जियो टैगिंग कर दी है। कहीं भी स्वीकृत खनन क्षेत्र से आगे जाकर खुदाई हुई तो सैटेलाइट इमेज की मदद से अलर्ट जारी होगा, जो खनन विभाग और जिला प्रशासन को मिल जाएगा। खनिज विभाग ने सिस्टम तैयार कर लिया है और इसे जल्द लॉन्च किया जाएगा।
पूरा सिस्टम सैटेलाइट इमेज और रिमोट सेंसिंग तकनीक पर काम करेगा। जियो टैगिंग होने से खनन क्षेत्र स्पष्ट तौर पर सैटेलाइट इमेज में दिखाई देगा। नियमित अंतराल पर सैटेलाइट इमेज देखकर कंट्रोल रूम में समीक्षा होगी। इस सिस्टम में खनन क्षेत्र की 500 मीटर परिधि में कोई भी असामान्य गतिविधि ट्रैप हो जाएगी।
साथ ही रेत जैसे खनिजों के मामले में भंडार पर नजर रखी जाएगी। देखा जाएगा कि जितनी ईटीपी जारी हुई है, उसी के अनुपात में रेत की निकासी भंडार से हुई है या नहीं।
ऐसे जारी होगा अलर्ट
इस सिस्टम में जैसे ही डेटा कंट्रोल रूम पहुंचेगा, उसका एक्सपर्ट एनालिसिस करेंगे। गड़बड़ी मिलने पर अलर्ट जेनरेट होगा, जो जिले के खनिज अधिकारी और कलेक्टर को जाएगा। अमला मौके पर जाकर जांच कर मुख्यालय को रिपोर्ट देगा। मौके पर ही बड़ी गड़बड़ी मिलने पर अधिकारी ऐप की सहायता से केस दर्ज कर सकेंगे। विभाग इस बात की तैयारी कर रहा है कि खदान तक ऑनलाइन निगरानी तंत्र विकसित हो।
परिवहन की निगरानी भी जिस तरह से खनन की निगरानी ऑनलाइन होगी, उसी तरह तकनीक आधारित मानव रहित 41 चेक गेट्स अधिक खनन वाले जिलों में स्थापित हो रहे हैं। खनन वाहन गुजरते ही इनमें लगे सीसीटीवी कैमरे वाहन में लदे खनिज को पहचानेंगे और रजिस्ट्रेशन नंबर को कंट्रोल रूम भेजेंगे। इससे तय होगा कि यह खनिज परिवहन वाहन है या नहीं और इस नंबर पर ईटीपी जारी हुई है या नहीं।