मप्र के सभी पुलिस ट्रेनिंग स्कूल-कॉलेज और अकादमियों में चलने वाली कक्षाओं में क्या और कैसे पढ़ाया जा रहा है, इसकी मॉनिटरिंग एडीजी ट्रेनिंग ऑनलाइन कर रहे हैं। रोजाना किसी भी कक्षा में जुड़कर वे प्रशिक्षु और प्रशिक्षक, दोनों से सवाल करते हैं। पुलिस मुख्यालय की ट्रेनिंग शाखा की ओर से पहली बार शुरू हुए इस नवाचार का मकसद पुलिसकर्मियों को दिए जाने वाले कोर्स की गंभीरता को बढ़ाना है। अब तक केवल संबंधित पुलिस अधीक्षक ही इस तरह से मॉनिटरिंग करते थे।
मप्र में सात पुलिस ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस), एक पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज और दो पुलिस अकादमी हैं। पीटीएस में रीवा, तिघरा, उमरिया, सागर, भौंरी, उज्जैन और पचमढ़ी शामिल हैं, जबकि पीटीसी केवल इंदौर में है। सागर में जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी और भौंरी में पुलिस अकादमी से भी अलग-अलग कोर्स संचालित होते हैं।
एडीजी राजाबाबू सिंह ने बताया कि इन सभी ट्रेनिंग सेंटर्स में से किसी भी एक या दो से रोजाना जुड़ने का नवाचार शुरू किया गया है। किसी भी प्रतिभागी और प्रशिक्षक के साथ सीधे ऑनलाइन बातचीत करने से प्रशिक्षक और प्रतिभागी दोनों ही ज्यादा जागरूक हो जाएंगे। साथ ही प्रशिक्षक अपने पाठ्यक्रम की सामग्री में सुधार लाने की कोशिश करेंगे, जबकि प्रतिभागी सीखने में गंभीरता लाएंगे। इसके लिए पुलिस के सुरक्षित सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है।
तीन तरह के होते हैं कोर्स ट्रेनिंग सेंटर्स में पुलिस के सिपाही से लेकर डीएसपी स्तर तक के अफसरों को तीन तरह के कोर्स करवाए जाते हैं। खासतौर पर नव आरक्षकों को भर्ती के बाद बेसिक कोर्स, प्रमोशन के दौरान इंडक्शन कोर्स और सेवा के दौरान इन सर्विस कोर्स करवाए जाते हैं। इसलिए इन सभी सेंटर्स में सालभर कोई न कोई कक्षा चलती रहती है।
परेड के लिए 40 ट्रेनर्स को डीआई कोर्स: पहली बार रीवा पीटीएस में अलग-अलग पीटीएस और पीटीसी से चुने गए 40 ट्रेनर्स को ड्रिल इंस्ट्रक्टर (डीआई) कोर्स करवाया जा रहा है। अब तक यह इंदौर के आरएपीटीसी में ही होता था। यानी ये 40 लोग ड्रिल (परेड) की बारीकियां सिखाएंगे।