मार्च/अप्रैल में काटे गए प्याज की कीमतें सबसे अधिक हैं, जबकि सितंबर में भारी बारिश के कारण नई फसल की आवक में देरी हुई है।
बांग्लादेश की ओर से स्थानीय प्याज की कीमतों को कम करने के लिए 15 जनवरी तक प्याज पर आयात शुल्क हटाने से निर्यात में भी उछाल आया है। भारत ने सितंबर में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले प्याज पर निर्यात शुल्क को आधा करके 20% कर दिया था, क्योंकि प्याज किसान प्याज के निर्यात पर बैन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ मतदान करने के लिए एकजुट हुए थे।
व्यापार के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि जब ग्राहक कमी देखते हैं, तो व्यापार चक्र में हर कोई अधिक खरीदता है। एक बार आवक बढ़ने पर, मांग में भी कमी आएगी।
विकास सिंह के मुताबिक राजस्थान के अलवर जैसे कुछ बाजारों में खरीफ की नई फसल की आवक बढ़ने लगी है। रविवार को आवक एक दिन पहले की तुलना में 40% अधिक थी। जल्द ही महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में भी आवक बढ़ने की उम्मीद है। इसके बाद प्याज की कीमतों में गिरावट आएगी।
व्यापार जगत के जानकारों का अनुमान है कि नवंबर के अंत तक थोक बाजारों में प्याज की कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम के आरामदायक स्तर पर आ जाएंगी।
निर्यात में तेजी भी बड़ा कारण
व्यापार के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि जब ग्राहक कमी देखते हैं, तो व्यापार चक्र में हर कोई अधिक खरीदता है। एक बार आवक बढ़ने पर, मांग में भी कमी आएगी।
कब सस्ती होगी प्याज?
व्यापार जगत के जानकारों का अनुमान है कि नवंबर के अंत तक थोक बाजारों में प्याज की कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम के आरामदायक स्तर पर आ जाएंगी।