माय फार्म नैचुलरल के संस्थापक प्राशु गुप्ता ने बताया कि वे 265 एकड़ में जैविक खेती कर रहे हैं, जिसमें सरसों, चीया बीज, धान की छह किस्में और फल शामिल हैं। वे पांच अलग-अलग फार्मों में प्रोसेसिंग यूनिट के माध्यम से विभिन्न खाद्य उत्पाद तैयार कर रहे हैं, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है।
गुप्ता का कहना है कि आजकल लोग स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूक हो रहे हैं, जिससे हर्बल और आर्गेनिक उत्पादों की मांग बढ़ रही है। कृषि प्रधान राज्य होने के कारण अब युवा उद्यमी खेती से संबंधित स्टार्टअप्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिससे किसानों को भी लाभ मिल रहा है।
स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता
मिलेट (मोटे अनाज) से बने खाद्य उत्पादों की स्टार्टअप कंपनी इम्यूनो मिलेट की संस्थापिका कविता देव बताती हैं कि पिछले तीन-चार वर्षों में लोगों के खानपान में काफी बदलाव आया है, खासकर कोरोनाकाल के बाद। अब लोग ऐसे खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दे रहे हैं जो स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हों।
रागी, ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाजों की डिमांड बढ़ी है। बिस्किट, लड्डू, इटली, दोसा, खीर, उपमा और कटलेट जैसी चीजों में इन अनाजों का इस्तेमाल हो रहा है। मिलेट्स शरीर को कई रोगों से बचाते हैं और फिट रखने में मदद करते हैं।
जीवनचर्या में बदलाव से बढ़ रहे स्टार्टअप
स्टार्टअप विशेषज्ञ और उद्यमी तुषार वढ़ेरा का कहना है कि रायपुर और आसपास के क्षेत्रों में आर्गेनिक उत्पादों का बाजार करोड़ों रुपये का है। आफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों में इन उत्पादों की भारी मांग है। इस बाजार में अनाज, सब्जियां और फल मुख्य रूप से मांग में रहते हैं।
इसके अलावा, जैविक दालें, मसाले और डेयरी उत्पाद भी लोगों की पसंद बनते जा रहे हैं। बदलती जीवनशैली ही इन स्टार्टअप्स के जन्म का मुख्य कारण है। अब लोग प्रकृति की ओर लौट रहे हैं।
किसानों को मिल रहा फायदा
कृषि से जुड़े स्टार्टअप के विशेषज्ञों का कहना है कि हर्बल और आर्गेनिक उत्पादों की बढ़ती मांग से किसानों को लाभ हो रहा है। स्टार्टअप कंपनियां सीधे किसानों से उनके उत्पाद खरीद रही हैं, जिससे किसानों को बाजार में अपनी फसल बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ता। इस प्रक्रिया से किसानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं, और वे अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। यही कारण है कि अब किसान खेती की ओर अधिक ध्यान दे रहे हैं।