नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की शानदार जीत ने सोने की चमक फीकी कर दी है। ट्रंप की जीत के बाद सोने की कीमत में भारी गिरावट आई है। इसकी वजह यह रही कि निवेशकों ने जमकर मुनाफावसूली की। ट्रंप ने देश के विकास को तेज करने की बात कही है। माना जा रहा है कि इसके लिए अमेरिका को भारी कर्ज लेना हो होगा जिससे देश का राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है। उधारी से अमेरिकी यील्ड पर दबाव बढ़ेगा और डॉलर इंडेक्स को सपोर्ट मिलेगा। इन चिंताओं के कारण गोल्ड में कुछ बिकवाली हुई।इसके अलावा ट्रंप के कर कटौती प्रस्तावों से भी अमेरिका में उधारी भी बढ़ेगी। ट्रंप ने आयात पर टैक्स बढ़ाने का वादा किया है लेकिन इससे राजकोषीय घाटे के पूरा होने की संभावना नहीं है। महंगाई के साथ-साथ राजकोषीय घाटे और ऋण/जीडीपी अनुपात में और वृद्धि होने की आशंका है। अमेरिकी चुनावों से पहले सोने में जोरदार तेजी आई थी लेकिन नतीजों के बाद इसमें गिरावट आ रही है। इसकी वजह यह है कि चुनाव परिणाम पर अब अनिश्चितता दूर हो गई है और बाजार कम से कम अभी के लिए उनके विकास दृष्टिकोण को अपना रहे हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
शुक्रवार को स्पॉट गोल्ड 0.82% की गिरावट के साथ 2,684 डॉलर पर बंद हुआ। इस हफ्ते सोने की कीमत में करीब 2% की गिरावट आई है। साथ ही 6 नवंबर को यू.एस. डॉलर इंडेक्स 105.44 पर पहुंच गया जो 3 जुलाई के बाद का उच्चतम स्तर है। बढ़ती यील्ड ने इंडेक्स को बढ़ावा दिया। शुक्रवार को इंडेक्स 0.42% की बढ़त के साथ 104.95 पर बंद हुआ और इस सप्ताह लगभग 0.70% ऊपर रहा। ग्लोबल गोल्ड ई.टी.एफ. होल्डिंग्स लगातार पांचवें दिन 7 नवंबर को 83.661 एम.ओ.जेड. पर गिर गईं।
शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा के फंडामेंटल करेंसीज एंड कमोडिटीज के एसोसिएट वीपी प्रवीण सिंह ने कहा कि यूएस यील्ड में जल्द ही फिर से तेजी आने की संभावना है, जिससे यूएस डॉलर में और तेजी आने की संभावना है। ये पारंपरिक कारक हाल के दिनों में सोने की कीमत को नियंत्रित करने में बहुत प्रभावी नहीं देखे गए हैं। लेकिन निकट भविष्य में एक बार फिर प्रासंगिक हो सकते हैं। जोखिम उठाने की क्षमता स्वस्थ रहने की संभावना है। ये कारक हल्के ईटीएफ आउटफ्लो के साथ धातु के लिए प्रतिकूल स्थिति के रूप में कार्य करने की संभावना है।
आगे कैसी रहेगी चाल
उन्होंने कहा कि चीन की राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थायी समिति की बैठक में 8 नवंबर को संपन्न हुई बैठक से सोने को कुछ प्रोत्साहन से कुछ समर्थन मिल सकता है। समिति ने स्थानीय सरकारों की बैलेंस शीट को दुरुस्त करने के लिए $1.40 ट्रिलियन के कर्ज के स्वैप की घोषणा की। भू-राजनीतिक जोखिम गहराता है तो सोने को फिर सपोर्ट मिल सकता है। शॉर्ट टर्म में सोने में गिरावट की आशंका है। हालांकि इसका ओवरऑल फंडामेंटल्स अब भी बरकरार हैं। बढ़ता राजकोषीय घाटा, ऊंचा ऋण/जीडीपी रेश्यो, भू-राजनीतिक तनाव, डी-डॉलरीकरण, केंद्रीय बैंकों द्वारा खरीद से मध्यम से लंबी अवधि में सोने की कीमतों में उछाल की संभावना है।