नई दिल्ली: आदित्य बिड़ला ग्रुप को कौन नहीं जानता। यह ग्रुप आज देश के बड़े उद्योग घरानों में एक है। इस ग्रुप की शुरुआत भी बहुत खास रही है। इस ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का श्रेय आदित्य विक्रम बिड़ला को जाता है। आदित्य विक्रम बिड़ला इस ग्रुप के मौजूदा चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला के पिता थे। विक्रम बिड़ला देश के ऐसे शख्स थे जो कारोबार को देश के बाहर लेकर गए।आदित्य विक्रम बिड़ला का जन्म 14 नवंबर 1943 को एक व्यापारी घराने में हुआ था। उनके पिता बसंत कुमार थे। बसंत कुमार कॉटन, पॉलिस्टर आदि कारोबार से जुड़े हुए थे। ऐसे में कारोबार की बारीकियां सीखने में विक्रम बिड़ला को बहुत ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी। अक्टूबर 1995 में मात्र 51 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। आज उनके जन्मदिन पर जानें कि उन्होंने ग्रुप को किस प्रकार नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और उनके बिजनस मंत्र क्या थे।
अमेरिका से की इंजीनियरिंग
विक्रम बिड़ला ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़ाई की थी। इसके उन्होंने अमेरिका की प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली। पढ़ाई के बाद वह 1965 में भारत लौट आए और परिवार के टेक्सटाइल कारोबार से जुड़ गए।विदेश में फैलाया कारोबार
बिड़ला ग्रुप के कारोबार को विदेश तक फैलाने में विक्रम बिड़ला का बड़ा योगदान माना जाता है। 24 साल की उम्र में उन्होंने ग्रुप का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया था। साल 1969 में उन्होंने इंडो-थाई सिंथेटिक कंपनी लिमिटेड की स्थापना की। यह इस ग्रुप की पहली ऐसी कंपनी थी जो विदेश में थी। इसके बाद साल 1973 में इन्होंने स्पन यार्न बनाने के लिए पीटी एलिगेंट टेक्सटाइल की स्थापना की। यह ग्रुप का इंडोनेशिया में पहला वेंचर था।विक्रम बिड़ला के कारोबार को सिर्फ टेक्सटाइल तक ही सीमित नहीं रखा। उन्होंने ऑइल सेक्टर में भी कदम रखा। साल 1977 में उन्होंने पैन सेंचुरी एडिबल ऑइल को मलेशिया में शुरू किया। यह बाद में दुनिया का सबसे बड़ी सिंगल लोकेशन पाम ऑइल रिफाइनरी बन गई। इसके अलावा इन्होंने कई और बिजनस को विदेशों तक पहुंचाया। उन्होंने देश के बाहर 19 कंपनियों की स्थापना की थी।