किसी थर्ड पार्टी को मध्यस्थता के लिए लाइए नहीं तो... उग्रवादी संगठन NSCN-IM ने दी चेतावनी

Updated on 09-11-2024 03:26 PM
नई दिल्ली: नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN-IM) ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर 2015 के फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर बातचीत में तीसरे पक्ष को शामिल नहीं किया गया, तो वे 27 साल पुराना युद्धविराम तोड़ देंगे। NSCN-IM पूर्वोत्तर भारत में सबसे लंबे समय से चले आ रहे उग्रवाद को समाप्त करने के लिए यह मांग कर रहा है।

यह चेतावनी NSCN (IM) के महासचिव टी मुइवा ने दी है।

मुइवा ने धमकी देते हुए क्या कहा


दिल्ली में 7 और 8 अक्टूबर को हुई बातचीत के बाद मुइवा ने एक बयान जारी किया। बातचीत का मुख्य मुद्दा था- 9 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट का सरकार की ओर से कथित तौर पर उल्लंघन। मुइवा ने कहा कि एक सम्मानजनक राजनीतिक समझौते पर पहुंचने के लिए, हम भारत सरकार की ओर से 3 अगस्त 2015 के फ्रेमवर्क एग्रीमेंट किए थे। हालांकि, केंद्र ऐतिहासिक समझौते के कुछ प्रावधानों का सम्मान करने से इनकार कर रहा। इस विश्वासघात के खिलाफ शांति प्रक्रिया बाधित हो जाएगी। हम एग्रीमेंट की शर्तों को शांतिपूर्ण तरीके से अपनाने से इनकार करते हैं। मुइवा ही 2016 में इसाक चिशी स्वू की मौत तक NSCN (IM) का नेतृत्व कर रहे थे।

'अलग झंडा और संविधान नहीं मिला तो...'


मुइवा ने आगे कहा कि हम इस एग्रीमेंट में हुए विश्वासघात को सुलझाने के लिए तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का प्रस्ताव रखते हैं, लेकिन अगर भारत सरकार ने इस राजनीतिक पहल को अस्वीकार कर दिया, तो NSCN-IM अनूठे इतिहास और उसके संप्रभु अस्तित्व की रक्षा के लिए भारत के खिलाफ फिर से सशस्त्र प्रतिरोध शुरू कर देगा। 1997 में शुरू हुआ यह संवाद NSCN (IM) की अलग झंडे और संविधान की मांग पर अटका हुआ है।

नागा संगठन की क्या है मांग


संगठन ‘नागालिम’, एक अलग नागा मातृभूमि की मांग कर रहा है जिसमें पूर्वोत्तर के सभी आदिवासी-बहुल इलाके शामिल होंगे। इनमें असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्से भी शामिल हैं। मुइवा ही संगठन के प्रमुख राजनीतिक वार्ताकार हैं। उन्होंने कहा कि अगर इस क्षेत्र में फिर से हिंसा होती है, तो इसके लिए भारत सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। मुइवा ने कहा कि अगर केंद्र सरकार दशकों पुराने इस विवाद को खत्म करना चाहती है, तो उसे नागालिम के संप्रभु राष्ट्रीय ध्वज और संविधान का सम्मान करना चाहिए, जैसा कि फ्रेमवर्क एग्रीमेंट में उल्लेख किया गया है।

कब हुआ था युद्धविराम समझौता


NSCN (IM) नेतृत्व और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के बीच 1995 में एक बातचीत हुई थी। पेरिस में हुई शुरुआती बातचीत के बाद ही 1 अगस्त 1997 को युद्धविराम समझौता हुआ था। केंद्र सरकार अन्य NSCN गुटों जैसे NSCN-NK, NSCN-R, NSCN K-Khango और NSCN-K-Niki के साथ भी बातचीत कर रही है।

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